BA Semester-5 Paper-2 Political Science - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2796
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान : लोक प्रशासन

प्रश्न- विकास प्रशासन से आप क्या समझते हैं? विकास प्रशासन के विभिन्न सन्दर्भों का उल्लेख करें।

सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. विकास प्रशासन के राजनीतिक सन्दर्भ बताइए।
2. विकास प्रशासन के आर्थिक सन्दर्भ की चर्चा कीजिए।
3. विकास प्रशासन के सामाजिक सन्दर्भ से आप क्या समझते हैं?

उत्तर -

विकास प्रशासन : अभिप्राय

विकास प्रशासन पूर्णतया नवीन धारणा है जिसका उदय 20वीं सदी में हुआ। 20वीं सदी में तेजी से विभिन्न देश उपनिवेशों से स्वतंत्र हुए। इन राष्ट्रों में प्रशासन के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती विकास की थी। अतः विकासशील राष्ट्रों में विकास के लक्ष्यों के अनुरूप जो प्रशासन का प्रारूप अस्तित्व में आया वह 'विकास प्रशासन' कहलाया। जैसाकि 'मोंटगोमरी' लिखते हैं कि "विकास प्रशासन का कार्य मुख्यतया आर्थिक क्षेत्र में सुनियोजित विकास करना है और द्वितीयक रूप में राज्य की सामाजिक सेवाओं (स्वास्थ्य, शिक्षा इत्यादि) को चलाना है। इसी प्रकार 'एडवर्ड वीनर विकास प्रशासन को क्रिया- उन्मुखी और उद्देश्य उन्मुखी प्रशासन के रूप में परिभाषित किया है और उसे विकास की एक ऐसी प्रक्रिया माना है जोकि संगठन को राष्ट्र निर्माण और सामाजिक-आर्थिक प्रगति की दिशा में ले जाती है।

 

विकास प्रशासन के विभिन्न सन्दर्भ
(Various Contexts of Development Administration)  -

विकास प्रशासन और सन्दर्भ का घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। विशिष्ट सन्दर्भ में व्याप्त समस्याओं को जानना, तदनुरुप उनके निराकरण का उपक्रम करना, विकास के खण्डों को निर्धारित करना, विकास प्रशासन के सुनियोजित एवं समन्वित प्रयास के लिए अपरिहार्य है। किसी समाज में विकास नीति पर त्रिमुखी सन्दर्भ का प्रभाव पाया जाता है। ये तीन सन्दर्भ निम्नलिखित हैं -

1. राजनीतिक सन्दर्भ (Political Context) - राजनीतिक सन्दर्भ के मुख्य अभिकरण हैं हैं- नौकरशाही और संवैधानिक ढाँचा। इनमें से संवैधानिक ढाँचा एक राजनीतिक इकाई है। इस राजनीतिक इकाई के कर्णधार हैं राजनीतिक दल एवं अन्य निर्वाचित राजनीतिज्ञ, जो नीति-निर्माण एवं विकास लक्ष्यों के निर्धारण में अग्रणी भूमिका निभाते हैं, जबकि विकास कार्यक्रम व परियोजनाओं को प्रशासनिक इकाई द्वारा ही निरुपित किया जाता है। जनहित के प्रति निष्ठा से विकास नीतियों के क्रियान्वयन पर इनकी सफलता पर निर्भर करती है। परन्तु आवश्यकता इन दोनों ही इकाइयों में सन्तुलन बनाए रखने की अधिक है। इस प्रकार विकास प्रशासन का राजनीतिक सन्दर्भ नौकरशाही व संवैधानिक ढाँचे के मध्य पर्याप्त सन्तुलन पर आधारित है।

2. आर्थिक सन्दर्भ (Economic Context) - आर्थिक आधार विकास का मूल तत्व माना जाता है। अतः स्वाभाविक तौर पर विकास प्रशासन का आर्थिक सन्दर्भ भी होता है। आर्थिक विकास का स्तर नौकरशाही के संगठन एवं नए विशिष्ट सरकारी अभिकरणों के अस्तित्व का निर्धारण करता है। जिन देशों में आर्थिक उत्पादन का स्तर उच्च पाया जाता है वहाँ कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिए एक सशक्त नौकरशाही पायी जाती है जोकि विकास कार्यक्रम को प्रतिबद्धता के साथ लागू करके आर्थिक विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होती है। इस प्रकार विकास प्रशासन का आर्थिक सन्दर्भ नौकरशाही और अर्थव्यवस्था को जोड़ता है। राष्ट्रीय आय में संवृद्धि समाज को अपनी प्रशासनिक क्षमताओं को सुधारने के योग्य बनाती है जो राष्ट्रीय विकास को प्रोत्साहन देता है।

3. सामाजिक सन्दर्भ (Social Context) - विकास प्रशासन का सामाजिक सन्दर्भ भी होता है। विकास प्रशासन का इस सन्दर्भ में प्रमुख दायित्व सामाजिक कल्याण में निरन्तर अभिवृद्धि करना है। सामाजिक सन्दर्भ के परिप्रेक्ष्य में स्वास्थ सेवाएँ, आवास सेवा, सांस्कृतिक सुख-सुविधाएँ, शिक्षा, स्त्रियों और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों व श्रमिकों की स्थिति में सुधार, बच्चों का संरक्षण, श्रम-नियमन और सामाजिक रूढ़िगत दृष्टिकोण में परिवर्तन इत्यादि पहलू सम्मिलित हैं। इस क्षेत्र में प्रशासन की सक्रियता के बढ़ने का कारण हैं- विभिन्न संस्थानों जैसे - व्यवस्थापिका, राजनीतिक दल, सार्वजनिक, निजी निगमों, श्रम संगठनों इत्यादि के द्वारा उत्पन्न होने वाला दबाव इत्यादि। 'हॉन-बीन ली' के अनुसार "अक्सर आर्थिक विकास रणनीति आर्थिक क्षेत्र की स्वायत्तता प्राप्त कर सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में समानान्तर विकास या पूर्व विकास की आवश्यकता की अवहेलना करती है।

अतः सामाजिक सन्दर्भ में जनता को प्राप्त होने वाली सेवाओं की मात्रा राजनीतिक एवं प्रशासनिक नेतृत्व के दृष्टिकोण पर निर्भर करती है। पूर्ण विकसित व्यवस्था में प्रशासनिक नेतृत्व स्वयं संगठन और उसके कार्यकर्ताओं के हित में काम करता है। जबकि विकासशील देशों में प्रशासनिक संगठन अपने नेताओं (राजनीतिक या प्रशासनिक) के हित की संवृद्धि में संलग्न रहते हैं। अतः विकास प्रशासन के सन्दर्भों में सामाजिक सन्दर्भ अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रशासनिक विकास और सुदृढ़ता को प्राप्त करने के लिए सामाजिक विकास आवश्यक है।

निष्कर्ष - इस प्रकार निष्कर्षतया यह कहा जा सकता है कि विकास प्रशासन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आर्थिक, राजनीतिक एवं सामाजिक तीनों ही सन्दर्भों में कार्यरत है तथा तीनों से ही समान रूप से सम्बन्धित है। विकास प्रशासन की उपयोगिता एवं प्रासंगिकता तभी तक है जब तक यह इन तीनों सन्दर्भों में उत्कृष्ट कार्य करे तथा समान के प्रत्येक रूप से विकास को सम्भव बनाने वाले कृत्यों को बढ़चढ़कर सम्पादित करे।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 'लोक प्रशासन' के अर्थ और परिभाषाओं की विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- लोक प्रशासन की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- लोकतांत्रिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्रशासन' शब्द का प्रयोग सामान्य रूप से किन प्रमुख अर्थों में किया जाता है?
  6. प्रश्न- "लोक प्रशासन एक नीति विज्ञान है" यह किन आधारों पर कहा जा सकता है?
  7. प्रश्न- लोक प्रशासन का महत्व बताइए।
  8. प्रश्न- प्रशासन के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र का 'पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण' की व्यख्या कीजिये।
  10. प्रश्न- लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने के क्या कारण हैं?
  11. प्रश्न- एक अच्छे प्रशासन के गुण बताइए।
  12. प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की चुनौतियाँ बताइये।
  13. प्रश्न- 'लोक प्रशासन में सैद्धान्तीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति', टिप्पणी कीजिए।
  14. प्रश्न- कार्मिक प्रशासन के मूल तत्व क्या हैं?
  15. प्रश्न- राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के मध्य अन्तर लिखिए।
  16. प्रश्न- शासन एवम् प्रशासन में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  17. प्रश्न- अनुशासन से क्या तात्पर्य है? लोक प्रशासन में अनुशासन के महत्व को दर्शाइए।
  18. प्रश्न- भारत में लोक सेवकों के आचरण को अनुशासित बनाने के लिए किए गए प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- लोक सेवकों को अनुशासन में बनाए रखने के लिए उन पर लगाए गए प्रतिबन्धों का वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- किसी संगठन में अनुशासन के योगदान पर टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- प्रशासन में अनुशासनहीनता को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं?
  22. प्रश्न- "अनुशासन में गिरावट लोक प्रशासन के लिए चुनौती" इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  23. प्रश्न- लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? निजी प्रशासन लोक प्रशासन से किस प्रकार भिन्न है?
  24. प्रश्न- "लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में अनेकों असमानताएँ होने के बावजूद कुछ ऐसे बिन्दू भी हैं जो उनके बीच समानताएँ प्रदर्शित करते हैं।' कथन का परीक्षण कीजिए।
  25. प्रश्न- निजी प्रशासन में लोक प्रशासन की अपेक्षा भ्रष्टाचार की सम्भावनाएँ कम है, कैसे?
  26. प्रश्न- निजी प्रशासन के नकारात्मक पक्षों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- लोक प्रशासन की तुलना में निजी प्रशासन में राजनीतिकरण की सम्भावनाएँ न्यूनतम हैं, कैसे?-
  28. प्रश्न- निजी प्रशासन के दो प्रमुख लाभ बताइए।
  29. प्रश्न- लोक प्रशासन के महत्व पर विवेचना कीजिए।
  30. प्रश्न- आधुनिक राज्यों में लोक प्रशासन के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिए।
  31. प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- संगठन का अर्थ स्पष्ट करते हुए, इसके आधारों को स्पष्ट कीजिए।
  33. प्रश्न- संगठन के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
  34. प्रश्न- संगठन के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए। औपचारिक संगठन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  35. प्रश्न- औपचारिक संगठन की विशेषताएँ बताइये।
  36. प्रश्न- अनौपचारिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  37. प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- संगठन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- संगठन के यान्त्रिक अथवा शास्त्रीय दृष्टिकोण (उपागम) को स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- पदसोपान प्रणाली के गुण व दोष बताते हुए इसका मूल्यांकन कीजिए।
  41. प्रश्न- संगठन के आदेश की एकता सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण बताते हुए इसकी समालोचनाओं पर भी प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- 'प्रत्यायोजन' से आप क्या समझते हैं? प्रत्यायोजन को परिभाषित करते हुए इसकी आवश्यकता एवं महत्व को बताइए।
  44. प्रश्न- प्रत्यायोजन के विभिन्न सिद्धान्तों एवं प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  45. प्रश्न- संगठन के सिद्धान्तों के विशेष सन्दर्भ में प्रशासन को लूथर गुलिक एवं लिंडल उर्विक के योगदान की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र में एल्टन मेयो द्वारा प्रस्तुत मानव सम्बन्ध उपागम पर प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- हरबर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सम्बन्धी मॉडल की व्याख्या कीजिए।
  48. प्रश्न- हर्बर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सिद्धान्त का लोक प्रशासन में महत्व पर प्रकाश डालिए।
  49. प्रश्न- नौकरशाही का अर्थ बताइये और परिभाषाएँ दीजिए।
  50. प्रश्न- नौकरशाही की विशेषताएँ अथवा लक्षणों को बताइये।
  51. प्रश्न- निर्णयन का क्या अर्थ है? प्रशासन में निर्णयन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- हेनरी फेयाफल द्वारा उल्लिखित किये गये संगठन के सिद्धान्तों को बताइए।
  53. प्रश्न- 'गेंगप्लांक' पर टिप्पणी कीजिये।
  54. प्रश्न- हरबर्ट साइमन द्वारा 'प्रशासन की कहावत' किन्हें कहा गया है और क्यों?
  55. प्रश्न- ऐल्टन मेयो को मानव सम्बन्ध उपागम के प्रवर्तकों में शामिल किया जाता है, क्यों?
  56. प्रश्न- निर्णयन के अवसरों का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- निर्णयन के लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- प्रतिबद्ध नौकरशाही की विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण का आशय स्पष्ट कीजिए। सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- सूत्र या पंक्ति अभिकरण से क्या आशय है एवं सूत्र (लाइन) या पंक्ति अभिकरणों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- प्रशासन में स्टाफ अभिकरण के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- स्टाफ अभिकरणों के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  63. प्रश्न- स्टाफ अभिकरण के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- सहायक अभिकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं स्टाफ अभिकरण से इनकी भिन्नता पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- मुख्य प्रशासक की प्रशासन में क्या स्थिति है? स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- बजट से आप क्या समझते हैं? इसे परिभाषित कीजिए। भारत में बजट कैसे तैयार किया जाता है?
  67. प्रश्न- बजट किसे कहते है? एक स्वस्थ बजट के महत्वपूर्ण सिद्धान्त बताइए।
  68. प्रश्न- भारत में केन्द्रीय बजट का निर्माण किस प्रकार होता है?
  69. प्रश्न- वित्त विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  70. प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार को स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- बजट का महत्व बताइए।
  72. प्रश्न- भारत में बजट के क्रियान्वयन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  73. प्रश्न- बजट के कार्य बताइये।
  74. प्रश्न- बजट के प्रकार लिखिए।
  75. प्रश्न- वित्त आयोग के कार्य बताइए।
  76. प्रश्न- योजना आयोग का प्रशासनिक ढाँचा क्या है?
  77. प्रश्न- शून्य आधारित बजट का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? नवीन लोक प्रशासन के उदय के कारण बताते हुए इसकी दार्शनिक पृष्ठभूमि का वर्णन कीजिए तथा नवीन लोक प्रशासन एवं दार्शनिक पृष्ठभूमि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए इसके लक्षणों का परीक्षण कीजिए।
  81. प्रश्न- नवीन लोक प्रबन्ध के अभ्युदय कैसे हुआ? नवीन लोक प्रबन्ध की मुख्य विशेषताएँ बताते हुए इसके अंतर्गत सरकार की भूमिका में आए बदलावों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन की भावी सम्भावनाओं को व्यक्त कीजिए।
  83. प्रश्न- नव लोक प्रशासन का उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
  84. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के प्रमुख तत्व कौन से हैं?
  85. प्रश्न- 'नवीन लोक प्रबन्ध' दृष्टिकोण के हानिकारक पक्षों पर प्रकाश डालिए।
  86. प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण के समर्थक क्या आलोचना करते हैं?
  87. प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की हरबर्ट साइमन द्वारा प्रस्तुत आलोचना पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- प्रशासकीय कानून का क्या अर्थ है? प्रशासकीय कानून के विकास के प्रमुख कारण बतलाइए।
  89. प्रश्न- प्रशासकीय अधिनिर्णय का क्या अर्थ है? इसके विकास के प्रमुख कारणों का विवेचन कीजिए।
  90. प्रश्न- भारत में जन शिकायतों के निस्तारण हेतु ओम्बड्समैन की स्थापना हेतु किए गए प्रयासों की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण से क्या तात्पर्य है? कोई न्यायालय प्रशासन के कार्यों को किस प्रकार अवैध घोषित कर सकता है?
  92. प्रश्न- भारत में प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण के विभिन्न साधनों का परीक्षण कीजिए।
  93. प्रश्न- भारत में प्रशासकीय न्यायाधिकरणों को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
  94. प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों से क्या लाभ हैं?
  95. प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों की हानियाँ बताइए।
  96. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के आधुनिक उपागमों को बताइये तथा व्यवहारवादी उपागमन को सविस्तार समझाइये।
  97. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के व्यवस्था उपागम का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- लोक प्रशासन के संरचनात्मक कार्यात्मक उपागम की व्याख्या कीजिए।
  99. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के पारिस्थितिकी उपागम का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- सुशासन से आप का क्या आशय है? सुशासन की विशेषताएँ लिखिए।
  101. प्रश्न- भारतीय क्षेत्र में सुशासन स्थापित करने की प्रमुख चुनौतियाँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- भारत में सुशासन की स्थापना हेतु किये गये प्रयासों पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- विकास प्रशासन से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
  104. प्रश्न- विकास प्रशासन से आप क्या समझते हैं? विकास प्रशासन के विभिन्न सन्दर्भों का उल्लेख करें।
  105. प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के उद्भव व विकास को समझाते हुए विकास की विभिन्न रणनीतियों की विवेचना कीजिए।
  106. प्रश्न- विकास प्रशासन के विभिन्न तत्वों की विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रकृति एवं साधन बताइए।
  108. प्रश्न- विकास प्रशासन के सामान्य अभिप्राय के सम्बन्ध में प्रमुख विवादों (भ्रमों) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  109. प्रश्न- विकासात्मक नीतियों को लागू करने में विकास प्रशासन कहाँ तक उपयोगी है?
  110. प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
  111. प्रश्न- विकास प्रशासन के 'स्थानिक आयाम' को समझाइए।
  112. प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के विकास के दूसरे चरण में विकास सम्बन्धी कि मान्यताओं का उदय हुआ?
  113. प्रश्न- विकास प्रशासन के समय अभिमुखी आयाम पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  114. प्रश्न- विकास प्रशासन और प्रशासनिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं और उनके मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  116. प्रश्न- भारतीय प्रशासन के विकास का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- राजनीति क्या है? मानव सामाजिकता में राजनीतिक भूमिका लिखिए।
  118. प्रश्न- वर्तमान भारतीय प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।

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